Posts

Showing posts from October, 2023

माता कुष्मांडा आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥ तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥ तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥ मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

माँ कूष्मांडा का कवच

हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्। हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥ कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा। पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम। दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥

माँ कूष्मांडा का स्तोत्र

 दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्। जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्। चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।। त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्। परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कुष्मांडा ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥ भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्र गदा जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर हार केयूर किंकिण रत्‍नकुण्डल मण्डिताम्। प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम्। कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

माता चंद्रघंटा कवच

रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥ बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्। स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥ कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च। न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥

माता चंद्रघंटा स्तोत्र

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्। अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥ चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्। धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥ नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्। सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

चंद्रघंटा ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥ मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥ प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

माँ ब्रह्मचारिणी कवच

त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी। अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥ पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥ षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो। अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

माँ ब्रह्मचारिणी स्तोत्र

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥ शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

मां ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥ परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

ब्रह्मचारिणी मंत्र

 दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। \ देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

माता ब्रह्मचारिणी स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। ya devi sarvabhuteshu maa brahmacharini rupen sansthita नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। namastasyay namstasyay namstasyay namo namah

शैलपुत्री देवी स्तोत्र पाठ

 प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥ त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्। सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥ चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन। मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

माता शैलपुत्री देवी कवच

Image
  ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी। हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥ श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी। हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥ फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।